Saturday 23 July 2011

प्रेम दर्शन


प्रेम दर्शन
प्यार का एक छोटा – सा सागर हूं मैं,
अपने दिल मे हमें अब समा लीजिये ।
प्यार देता है आवाज अब आपको,
अपने दिल मे हमे अब जगह दीजिये ।
कृष्ण देता है आवाज अब आपको,
अपने दिल मे हमें अब जगह दीजिये ।

गीत लिखता हूं मैं, गीत गाता नहीं,
मेरे गीतों को होठों से छू लीजिये ।
मेरी नजरें भी हैं प्यार छलका रहीं,
अपनी आंखों मे हमको बसा लीजिये ।
अब तो व्यापार करता हूं मैं प्यार का,
प्यार के बदले में प्यार अब दीजिये ।

भाषा नफरत की हमने तो सीखी नहीं,
प्यार की भाषा में बात अब कीजिये ।
नफरत भी अगर आप हमसे करें,
प्यार स्वीकार मेरा तो कर लीजिये ।
छोड दें दुनियां नफरत की अब आप भी
प्यार की दुनिया मे अब सफर कीजिये ।

प्यार भगवान है, प्यार ही है खुदा,
मत जुदा प्यर से खुद को अब कीजिये ।
प्यार है जिन्दगी, प्यार है बन्दगी,
प्यार से दूर अब न रहा कीजिये ।
अपनी नजरों से बरसाता हूं प्यार मैं,
इस बारिष में खुद को भींगो लीजिये ।

प्यार है त्याग भी, यह समर्पण भी है,
बात है यह सही – मान अब लीजिये ।
प्यार है दिल की आवाज, अहसास है,
खुद ये अहसास महसूस कर लीजिये ।
पाक होता है रिश्ता सदा प्यार का,
प्यार की रीत को अब निभा दीजिये ।

प्यार पूजा भी है, प्यार भक्ति भी है,
प्यार शक्ति भी है – जान यह लीजिये ।
प्यार है ज्ञान भी, प्यार दर्शन भी है,
प्रेम दर्शन का अब ज्ञान ले लीजिये ।
ज्ञान होता अधूरा सदा प्यार बिन,
प्यार से ज्ञान को पूर्ण कर लीजिये ।

प्यार की रोशनी से है रौशन जहां,
अपने जीवन को रौशन तो कर लीजिये ।
प्यार की खुश्बू होती है हर फूल में,
इसको जीवन के आंगन मे भर लीजिये ।
प्यार देता खुशी और हंसाता भी है,
प्यार से अपने दामन को भर लीजिये ।

प्यार का तो कोई मोल होता नहीं,
प्यार अनमोल है जान यह लीजिये ।
प्यार बिकता नहीं इस जहां में कहीं,
इस हकीकत को अब जान भी लीजिये ।
जो भी बिक है रहा आज संसार में,
वो प्यार होता नहीं - जान यह लीजिये ।

प्यार करने कराने की वस्तु नहीं,
प्यार हो जाता है – जान यह लीजिये ।
है मिलन यह विचारों का, संस्कारों का,
इस मिलन को अमर अब बना दीजिये ।
प्यार डरता नहीं, प्यार मरता नहीं,
प्यार झुकता नहीं – जान यह लीजिये ।

प्यार के सामने अब तो नफरत कभी
टिक सकेगी नहीं जान यह लीजिये ।
प्यार के जो भी दुश्मन हैं – मिट जायेंगे,
बात निश्चित है - यह जान अब लीजिये ।
प्यार की जीत तो अब तो होगी सदा,
इसमें शक्ति बहुत - जान यह लीजिये ।

प्यार का एक छोटा – सा सागर हूं मैं,
अपने दिल मे हमें अब समा लीजिये ।
प्यार देता है आवाज अब आपको,
अपने दिल मे हमे अब जगह दीजिये ।
कृष्ण देता है आवाज अब आपको,
अपने दिल मे हमें अब जगह दीजिये ।
n     कृष्ण बल्लभ शर्मा “योगीराज”
(“इतिहास रचयिता” नामक पुस्तक से उद्धृत)

No comments:

Post a Comment