Friday 3 August 2012

Biography of Pundit Hari Narain Sharma in Hindi

महान स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षाविद, चिकित्सक एवं समाज सुधारक
स्व० पं० हरि नारायण शर्मा की प्रेरणादायक जीवनी एवं उपलब्धि

राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्यातिप्राप्त शिक्षाविद, सुप्रसिद्ध चिकित्सक, महान स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक, आर्य समाज के महामंत्री एवं प्रमुख प्रचारक स्व० पंडित हरिनारायण शर्मा उर्फ हरिनारायण मिश्र का जीवन, कार्य और उनकी उपलब्धियां तथा बहुमुखी प्रतिभा से युक्त उनका अद्वितीय व्यक्तित्व सभी समुदाय के सभी लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है तथा शाकद्वीपीय ब्राह्मण समुदाय के लिए गर्व का विषय है |
पंडित हरिनारायण शर्मा उर्फ हरिनारायण मिश्र का जन्म सन 1872 ई० में बिहार प्रान्त के पटना जिला के अंतर्गत दानापुर रेलवे स्टेशन (खगौल) के निकट कैंट रोड के किनारे अवस्थित मुस्तफापुर नामक ग्राम में सुप्रसिद्ध शाकद्वीपीय ब्राह्मण वैद्य परिवार में हुआ था | उनके पिता स्व० पं० प्रभुनाथ मिश्र अपने ज़माने के मशहूर वैद्य थे | उनके परिवार में एक से बढ़कर एक सुप्रसिद्ध आयुर्वेद विशेषज्ञ वैद्यों ने जन्म लिया था, जिन्होंने विशेषकर आयुर्वेद के नाड़ी विज्ञान, द्रव्य गुण विज्ञान तथा रस चिकित्सा विज्ञान के विशेषज्ञ के रूप में राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त की थी | उनके पूर्वज मोकामा निवासी स्व० पं० शेठ चन्द्र मिश्र को करीब चार सौ वर्ष पूर्व बिहार बंगाल एवं उडीसा के नवाब मुस्तफा खान ने उनके आयुर्वेद के विशिष्ट ज्ञान से प्रभावित होकर उन्हें पाटलिपुत्र से सटे खगौल के निकट बहुत बड़ी जागीर दान स्वरुप भेंट किया था, जिसका नामकरण मुस्तफा खान के ही नाम पर मुस्तफापुर किया गया | मूलतः उनके पूर्वज बिहार प्रांत के गया जिला (वर्त्तमान औरंगाबाद जिला) के अंतर्गत पवई ग्राम के निवासी थे, इसीलिये उन्हें पवईयार भी कहा जाता था तथा उनके परिवार का पुर पवईयार था | पंडित हरिनारायण शर्मा उर्फ हरिनारायण मिश्र चार भाई थे, जिनका नाम क्रमशः इस प्रकार था – शिव नन्दन मिश्र, राम अवतार मिश्र उर्फ रामावतार शर्मा, राम लगन मिश्र एवं हरि नारायण मिश्र उर्फ हरि नारायण शर्मा |
पंडित हरिनारायण शर्मा अपने सभी भाइयों में सबसे छोटे तथा बचपन से ही अत्यंत प्रतिभाशाली थे | वंशानुगत पारिवारिक परम्परा के अनुसार अपने परिवार में ही रहकर आयुर्वेद, धर्म शास्त्र, भारतीय दर्शन, तथा चारों वेद का अध्ययन कर बाल्यकाल में ही अपनी अद्भुत प्रतिभा और ज्ञान से सभी को प्रभावित करना प्रारम्भ कर दिया | आगे चलकर बड़े होकर विशष्ट ज्ञान की प्राप्ति हेतु वे पटना से लाहौर (वर्त्तमान पाकिस्तान) चले गए, जहाँ जाकर उन्होंने वैदिक ज्ञान, धर्म शास्त्र और आयुर्वेद का विशिष्ट ज्ञान प्राप्त किया | लाहौर में रहकर उच्च शिक्षा प्राप्त करते हुए लाला लाजपत राय, नरदेव शास्त्री, मंगलदेव शास्त्री, जे० बी० कृपलानी आदि से उनकी घनिष्ठ मित्रता स्थापित हो गयी तथा आर्य समाज के सिद्धांतों से तथा आर्य समाज के समाज सुधार कार्यक्रम से प्रभावित होकर आर्य समाज में शामिल हो गए और आर्य समाज के प्रमुख प्रचारक बन गए | बाल गंगाधर तिलक को उन्होंने अपना गुरु और मार्गदर्शक मान लिया और बाल गंगाधर तिलक के नेतृत्व में भारत के स्वतन्त्रता आंदोलन में गरम दल में शामिल हो गए | भारतीय राष्ट्रीय कॉंग्रेस, हिन्दू महासभा, विश्व हिन्दू परिषद और आर्य समाज के धर्म सुधार आंदोलन के प्रचार प्रसार में अग्रणी भूमिका निभाते हुए भारत के स्वतन्त्रता आंदोलन में भी उन्होंने बढ़ चढ कर हिस्सा लिया | हैदराबाद में साम्प्रदायिक अत्याचार की समस्या समाधान के समस्त शान्तिपूर्ण प्रयास के विफल हो जाने के बाद अपने गुरु बाल गंगाधर तिलक के निर्देश पर सन 1938 ई० में पंडित हरि नारायण शर्मा ने हैदराबाद निजाम के विरुद्ध सत्याग्रह आन्दोलन के लिए कॉंग्रेस जत्था का नेतृत्व किया | चंद्रशेखर आजाद के नेतृत्व में चल रहे सशस्त्र क्रांतिकारी आंदोलन को भी प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप में उन्होंने सदैव सहयोग दिया |
लाला लाजपत राय पर लाठी चार्ज और उनके निधन के विरुद्ध बदला स्वरुप अंग्रेज पुलिस सुपरिटेंडेंट सौन्डर्स की ह्त्या के बाद जब अंगरेजी हुकूमत हाथ धोकर चंद्रशेखर आजाद के पीछे पड़ गयी, तो पंडित हरि नारायण शर्मा ने ही स्वयं द्वारा स्थापित सुप्रसिद्ध वेद रत्न विद्यालय (गुरुकुल) के विशाल प्रांगण में छात्रावास में गुप्त रूप से चंद्रशेखर आजाद को छिपा कर रखा | जब अंगरेजी हुकूमत को इस बात की जानकारी मिली तो अंग्रेज पुलिस सुपरिटेंडेंट वेद रत्न विद्यालय (गुरुकुल) में छापामारी के लिए पहुचे, परन्तु पंडित हरि नारायण शर्मा ने अंग्रेज पुलिस को गुरुकुल के प्रांगण में प्रवेश हेतु लिखित आवेदन देकर प्रवेश की लिखित अनुमति मांगने को बाध्य कर दिया और इस बीच चन्द्रशेखर आजाद हाफपैंट शर्ट पहनकर गुरुकुल के छात्र का वेश धारण कर लिए और गुरुकुल के अन्य छात्रों के  साथ मिलकर स्वयं ही अंग्रेज पुलिस सुपरिटेंडेंट को पूरे गुरुकुल के प्रांगण का निरीक्षण करवा दिया और चंद्र शेखर आजाद के साथ घुमते हुए भी पुलिस सुपरिटेंडेंट उनको नहीं पकड़ पाया और वापस लौट गया |
समाज सुधारक तथा आर्य समाज के प्रमुख प्रचारक एवं महामंत्री के रूप में पंडित हरि नारायण शर्मा ने जातिगत भेदभाव एवं छुआछूत का प्रबल विरोध किया तथा विधवा विवाह को प्रोत्साहन दिया | स्वतंत्रता आन्दोलन में अग्रणी भूमिका निभाने के कारण कई बार उन्हें जेल यात्रा भी करना पडा |
पंडित हरि नारायण शर्मा ने अपने निजी भूखंड पर सन 1901 ई० में कैन्ट रोड के किनारे मुस्तफापुर, खगौल, पटना (बिहार) में गुरुकुल शिक्षा प्रणाली के अंतर्गत सुप्रसिद्ध वेद रत्न विद्यालय (गुरुकुल) की स्थापना की थी तथा सन 1915 ई० में इसका पूर्ण विस्तार हुआ था | कुछ ही समय में वैदिक अध्ययन, आयुर्वेद, व्याकरण, ज्योतिषशास्त्र, दर्शन शास्त्र, संस्कृत, भाषा विज्ञान, गणित आदि विषयों के पठन पाठन एवं शोध कार्य के लिए इस शिक्षण संस्थान ने राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय ख्याति अर्जित की | अन्य छात्रों के साथ - साथ सैकड़ों अनाथ एवं अत्यंत गरीब छात्रों को निःशुल्क भोजन, वस्त्र एवं छात्रावास में रहने की सुविधा के साथ आदर्श शिक्षा एवं गुरुकुल के विशाल प्रांगण में खेल सुविधा भी उपलब्ध थी |  छात्रों के आदर्श चरित्र निर्माण, व्यवहार विज्ञान, योग, प्राणायाम, ध्यान, संस्कार निर्माण एवं प्रभावशाली व्यक्तित्व निर्माण पर इस गुरुकुल में विशेष ध्यान दिया जाता था | निजी रूप से गठित विद्यालय प्रबंधन समिति के नियंत्रणाधीन इस शिक्षण संस्थान के लिए यह बड़े ही गर्व की बात है कि इसने आदर्श शिक्षण एवं प्रशिक्षण द्वारा राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर के ख्यातिप्राप्त अनेकानेक आदर्श सफल शिक्षक, प्राध्यापक (प्रोफ़ेसर), डॉक्टर, इंजीनीयर, समाज सेवक एवं वक्ता को तैयार किया जिन्होंने आदर्श रूप में समाज, राज्य, राष्ट्र और विश्व समुदाय की सर्वोत्कृष्ट सेवा द्वारा आदर्श मिसाल स्थापित किया | सुप्रसिद्ध चक्षु रोग विशेषज्ञ स्व० डॉ० दुखन राम, सुप्रसिद्ध चिकित्सक (फीजीशीयन) स्व० डॉ० बद्री प्रसाद, सुप्रसिद्ध आयुर्वेद विशेषज्ञ पटना आयुर्वेदिक कॉलेज के प्राचार्य एवं बनारस हिंदू विश्व विद्यालय में इंस्टीच्यूट ऑफ इन्डियन मेडिसीन के निदेशक (डायरेक्टर) स्व० प्रिय व्रत शर्मा, सुप्रसिद्ध इंजीनियर स्व० पारस नाथ, सुप्रसिद्ध वक्ता एवं सामाजिक कार्यकर्ता स्व० रमाकांत पांडे एवं स्व० लखन लाल पाल आदि पंडित हरि नारायण शर्मा के सबसे प्रिये शिष्य थे |
आगे चलकर मुस्तफापुर के उपरोक्त सुप्रसिद्ध गुरुकुल को देवघर में स्थानांतरित कर दिया गया, जहाँ वह आज भी “गुरुकुल महाविद्यालय, बैद्यनाथधाम” के नाम से चल रहा है | तदनंतर वेद रत्न विद्यालय (गुरुकुल) के विशाल प्रांगण में पंडित हरि नारायण शर्मा ने “वेद रत्न उच्च विद्यालय” तथा “डी० ए० वी० मध्य विद्यालय” की भी स्थापना की | उपरोक्त “वेद रत्न विद्यालय (गुरुकुल)” के स्वरुप तथा पंडित हरि नारायण शर्मा के जीवन एवं कार्यों का वर्णन “के० पी० जाएसवाल रीसर्च इंस्टीच्यूट (बिहार सरकार), बुध मार्ग (पटना संग्रहालय प्रांगण), पटना” द्वारा प्रकाशित “कौम्प्रीहेंसिव हिस्ट्री ऑफ बिहार, वोल्यूम – III, पार्ट -  II के पृष्ठ स० 29,31, 37में भी उपलब्ध है |
पंडित हरि नारायण शर्मा ने अपने निजी भूखंड पर सन 1916 ई० में दो स्थानों पर यथा - बिहार की राजधानी पटना के निकट पुनपुन शहर में तथा पटना के निकट कैंट रोड, मुस्तफापुर, खगौल, पटना (बिहार) में अपने पैतृक मकान के सामने करीब 6000 स्क्वेयर फीट (तेरह डिसमील) में दोमंजिला पक्का मकान का भव्य इमारत बनवाकर उसमें सुप्रसिद्ध आयुर्वेदिक दवाखाना (आयुर्वेदिक अस्पताल) की स्थापना की | इन दोनों स्थानों पर आयुर्वेदिक दवाखाना (आयुर्वेदिक अस्पताल) में अन्य लोगों के साथ साथ हजारों गरीब लोगों को निःशुल्क चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाया जाता था |
सन 1962 ई० में पंडित हरि नारायण शर्मा का स्वर्गवास हो गया | आगे चलकर सन 1967 ई० में उनके एकमात्र पुत्र स्व० वेद व्रत शर्मा (सुप्रसिद्ध शिक्षाविद, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्यातिप्राप्त पत्रकार, अनेक विद्यालयों के संस्थापक एवं प्राचार्य) का भी स्वर्गवास हो गया | तदनंतर सन 1988 ई० में उनके बड़े भतीजा स्व० सत्य व्रत शर्मा “सूजन” (बिहार राज्य के राजभाषा विभाग के पूर्व निदेशक) का स्वर्गवास हो गया | सन 2010 ई० में उनके छोटे भतीजा स्व० प्रिय व्रत शर्मा (राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर के सुप्रसिद्ध आयुर्वेद विशेषज्ञ, पटना आयुर्वेदिक कॉलेज के पूर्व प्राचार्य एवं बनारस हिंदू विश्व विद्यालय में इंस्टीच्यूट ऑफ इन्डियन मेडिसीन के पूर्व निदेशक तथा आयुर्वेद विषय पर अनेकानेक विश्व प्रसिद्द पुस्तकों के लेखक अनुवादक) का स्वर्गवास हो गया |
वर्तमान में पंडित हरि नारायण शर्मा के पैतृक ग्राम मुस्तफापुर में मात्र उनके एक पौत्र श्री ब्रज बल्लभ शर्मा “ब्रजराज” (बिहार सरकार के सेवा निवृत्त पदाधिकारी) तथा चार प्रपौत्र, यथा – कृष्ण बल्लभ शर्मा “योगीराज” (पटना उच्च न्यायालय के विख्यात अधिवक्ता, लेखक तथा राष्ट्रीय नव निर्माण परिषद एवं कृष्णा फाउन्डेशन के संस्थापक अध्यक्ष), विजय बल्लभ शर्मा (चिकित्सक), पृथ्वी बल्लभ शर्मा (अर्थशास्त्री) और शिव बल्लभ शर्मा (पत्रकार) सपरिवार रहते हैं |