Monday 25 July 2011

जिंदगी ऐसे जियो


जिंदगी ऐसे जियो
जिंदगी को तुम अपने कुछ इस तरह जियो,
कि अपनी जिंदगी कैसे जिये – इस बात का,
फिर कभी, कोई पछतावा न हो ।

हर बात अपनी जिंदगी मे इस तरह बोला करो,
कि कोई बात कैसे, कब, कहां, क्या बोल गये – इस बात का,
फिर कभी, कोई पछतावा न हो ।

हर काम अपनी जिंदगी में इस तरह किया करो,
कि कोई काम कैसे, कब, कहां, क्यों कर गये – इस बात का,
फिर कभी, कोई पछतावा न हो ।

इस्तेमाल अपनी जिंदगी के वक्त का ऐसे करो,
कि कौन वक्त हो गया बेकार क्यों – इस बात का,
फिर कभी, कोई पछतावा न हो ।

हर किसी से जिंदगी में बर्ताव तुम ऐसे करो,
कि बर्ताव किससे, कब, कहां, कैसे किये – इस बात का,
फिर कभी, कोई पछतावा न हो ।

जिंदगी में हर किसी से इस तरह तुम मिला करो,
कि कब, कहां और किससे तुम कैसे मिले – इस बात का,
फिर कभी, कोई पछतावा न हो ।
n     कृष्ण बल्लभ शर्मा “योगीराज”
(“इतिहास रचयिता” नामक पुस्तक से उद्धृत)

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