Saturday 23 July 2011

शक्ति का अवतार नारी


शक्ति का अवतार नारी
नारी तुम अबला नहीं हो, तुम कलह - कुशला नहीं हो,
सरस्वती लक्ष्मी स्वरूपा शक्ति का अवतार हो तुम ।

इस जगत की जननी तुम, संसार का आधार भी तुम,
पुरूष की प्रेरणा स्रोत हो तुम, प्रेम का भंडार भी तुम,
बडी सहन शक्ति तेरी, सुख शान्ति की स्रोतस्वती,
धैर्य तेरा है प्रबल, सद्धर्म की प्रतिमूर्ति हो तुम,
नारी तुम अबला नहीं हो, तुम कलह - कुशला नहीं हो,
सरस्वती लक्ष्मी स्वरूपा शक्ति का अवतार हो तुम ।

तुम अगर अबला बनी हो, अगर कलह - कुशला बनी हो,
दोष कुछ इसमें तेरा भी है, दोषी पुरूष समाज भी,
कोमल अंग भले तेरा, तू शक्ति की अवतारी है,
जो कुछ चाहा पाया तुमने, मौत भी तुमसे हारी है,
नारी तुम अबला नहीं हो, तुम कलह - कुशला नहीं हो,
सरस्वती लक्ष्मी स्वरूपा शक्ति का अवतार हो तुम ।

लोपामुद्रा नारी थी और रोमशा भी नारी थी,
गार्गी एक नारी थी और मैत्रेयी भी नारी थी,
सावित्री एक नारी थी और भारती देवी नारी थी,
जीजाबाई नारी ही थी, लक्ष्मीबाई नारी थी,
नारी तुम अबला नहीं हो, तुम कलह - कुशला नहीं हो,
सरस्वती लक्ष्मी स्वरूपा शक्ति का अवतार हो तुम ।

अलका भी एक नारी थी और जोन ऑफ आर्क नारी थी,
विक्टोरीया एक नारी थी और इंदिरा गांधी नारी थी,
सुभद्रा भी एक नारी थी और सरोजिनी भी नारी थी,
मदर टेरेसा नारी थी और कल्पना चावला नारी थी,
नारी तुम अबला नहीं हो, तुम कलह - कुशला नहीं हो,
सरस्वती लक्ष्मी स्वरूपा शक्ति का अवतार हो तुम ।

जो चाहो तुम कर सकती हो, जो चाहो तुम पा सकती हो,
कोई काम नहीं ऐसा जग में, तुम नहीं कभी कर सकती जो,
कुछ काम पडे हैं दुनिया में, जो कर सकती केवल तुम ही,
बारूद के ढेर पे बैठी दुनिया, तुम्ही इसे बचा सकती हो,
नारी तुम अबला नहीं हो, तुम कलह - कुशला नहीं हो,
सरस्वती लक्ष्मी स्वरूपा शक्ति का अवतार हो तुम ।

तुम चहो तो प्रेम की गंगा बहा दो आज की दुनिया में,
जो तुम चहो झगडे- झंझट का नाम मिटा दो दुनिया से,
पुरूष की प्रेरणा स्रोत बनकर, उसकी हिंसा रोक लो तुम,
प्रेम की शक्ति तुझमें है, वात्सल्य का भंडार हो तुम,
नारी तुम अबला नहीं हो, तुम कलह - कुशला नहीं हो,
सरस्वती लक्ष्मी स्वरूपा शक्ति का अवतार हो तुम ।
n     कृष्ण बल्लभ शर्मा “योगीराज”
(“इतिहास रचयिता” नामक पुस्तक से उद्धृत)

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