ओ मेरे प्यारे जीना सीख
ओ मेरे प्यारे जीना सीख,
आज के आज में रहना सीख ।
जो गुजर गया सो गुजर गया,
अब सोंच के उस पर होगा क्या ?
जो होना है सो होना है,
चिन्ता करने से होगा क्या ?
ओ मेरे प्यारे जीना सीख,
आज के आज में रहना सीख ।
जो मौत सभी की निश्चित है,
तो मौत से है फिर डरना क्या ?
(अ)गर लडे बिना हो जीना मुश्किल,
कदम – कदम पर लडना सीख ।
ओ मेरे प्यारे जीना सीख,
आज के आज में रहना सीख ।
हो कलम कभी कमजोर नहीं,
तलवार चलाना पर तू सीख,
गांधी की अहिंसा बनी रहे,
हिंसक प्राणी से लडना सीख ।
ओ मेरे प्यारे जीना सीख,
आज के आज में रहना सीख ।
जीवन फूलों की सेज नहीं,
मुश्किल के कांटे भरे पडे,
मुश्किल से उफ् तू करना नहीं,
हर मुश्किल से तू लडना सीख ।
ओ मेरे प्यारे जीना सीख,
आज के आज में रहना सीख ।
हों गम के बादल घेर खडे,
पर रोने से फिर होगा क्या ?
हां, हंसी तेरे गम छांटेगी,
हर हाल में अब तू हंसना सीख ।
ओ मेरे प्यारे जीना सीख,
आज के आज में रहना सीख ।
n कृष्ण बल्लभ शर्मा “योगीराज”
(“इतिहास रचयिता” नामक पुस्तक से उद्धृत)
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