Saturday 23 July 2011

नर नारी में श्रेष्ठ है कौन


नर - नारी में श्रेष्ठ है कौन
नर - नारी में श्रेष्ठ है कौन ?
विवाद ही यह बेकार है,
दोनों एक – दूजे के पूरक हैं
और सृष्टी के आधार हैं ।

नई पीढी के वे पालनकर्ता
नवयुग के आधार हैं,
नर – नारी जब मिल जाते हैं
वे बनते जगताधार हैं ।

पुरुष के पौरूष का हरदम
सम्मान है करती हर नारी,
नारी के सम्मान की रक्षा
पुरुष नहीं तो कौन करेगा ?

वीर पुरुष हरदम करता
हर नारी का सम्मान है,
नारी के सम्मान की रक्षा
वीर पुरुष की शान है ।

जो सभ्य न होते कायर होते,
वे ही करते नारी का अपमान हैं,
नारी को वे हेय बताते
और दिखाते झूठी अपनी शान हैं ।

जो सभ्य न होते कायर होते,
नारी को वे शिक्षा का अधिकार न देते,
स्वतंत्रता उसकी छीन लेते,
घर से बाहर जाने का अधिकार न देते ।

जो सभ्य न होते कायर होते,
वे ही करते नारी पर अत्याचार हैं,
पर्दे के अंदर उसको रखते,
वे ही करते उसका बलात्कार हैं ।

पर सभ्यता जहां होती
और धर्म का पालन होता है,
नारी वहां शिक्षित होती
और जीवन सुखमय होता है ।

स्वतंत्र वहां नारी होती
वह पर्दे के बाहर होती,
पुरुषों के हर काम में
वह साथ बराबर का देती ।

विवाह कोई बिजनेस नहीं,
विवाह कोई कांट्रैक्ट नहीं,
बिजनेस और कांट्रैक्ट कभी
विवाह हो सकता नहीं ।

शारीरिक सम्बन्धों का
कांट्रैक्ट कभी विवाह नहीं,
और बच्चे पैदा करने का
एग्रीमेंट विवाह नहीं ।

स्त्री – पुरुष के मन – विचार,
दिल – दिमाग, शरीर और आत्मा,
स्थायी रूप से मिलते तो
खुश होता है परमात्मा ।

जीवन भर की खातिर जब वे
दोनों मिलकर एक हैं होते,
हर काम में एक – दूजे का हाथ बंटाते
एक – एक मिलकर दो नहीं ग्यारह होते ।

स्त्री – पुरुष का ऐसा पावन
मिलन धरा पर जब होता है,
सबकी खुशी का कारण बनता
विवाह की संज्ञा पाता है ।

विवाह, प्रेम, मित्रता
बराबरी की चीज है,
बराबरी में होती है
और परम आनंद का बीज है ।

विचारों – संस्कारों की समानता
आधार सदा इन नातों का,
धन – दौलत और स्वार्थ कभी
आधार नहीं इन रिश्तों का ।

धन – दौलत और स्वार्थ कभी
जो आधार बने इन रिश्तों का,
ऐसे रिश्ते हैं कभी टिकते नहीं
होता कोई भविष्य नहीं इन रिश्तों का ।

मालगाडी के डब्बे में
हीरा सोना भेजा है जाता नहीं,
राजधानी एक्सप्रेस ट्रेन में
मालगाडी का डब्बा है जुटता नहीं ।

पुरुष नारी से श्रेष्ठ नहीं,
नर से नारी हीन नहीं,
सरस्वती लक्ष्मी स्वरूपा
शक्ति का अवतार वही ।

पुरुष का पौरूष ही उसको
नारी से श्रेष्ठ बनाता है,
नारी का नारीत्व उसे
पुरुषों से श्रेष्ठ बनाता है ।

पुरुष का पौरूष बना रहे
और नारी का नारीत्व रहे,
दोनों का स्वाभिमान रहे
और दोनों का सम्मान रहे ।
n     कृष्ण बल्लभ शर्मा “योगीराज”
(“इतिहास रचयिता” नामक पुस्तक से उद्धृत)

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